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23 Dec 2023 · 1 min read

राष्ट्रीय किसान दिवस

राष्ट्रीय किसान दिवस के उपलक्ष्य में सभी अन्नदाताओं को समर्पित मेरी स्वरचित पंक्तियाँ 👇👇👇

कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
कोई खेतों की गर्मी से खुद को सींच रहा है

कोई पकवानों के जैसा फल फूल रहा है
कोई पेड़ों की शाखों पर झूल रहा है

न मिलता किसी को पेट भर खाने को है
किसी का देखकर खाने को मन ऊब रहा है

कोई खुद में ही लाचारी को महसूस कर रहा है
कोई जेबों से लापरवाही को बस फूंक रहा है

कोई भरता है मोटर से जिंदगी की उड़ानों को
कोई पग पग पे अपनो के लिए बस लड़ रहा है

कोई करता है गैरों से गिला अपनी नुमाइश का
कोई बिखरे हुए सपनो को लेकर दम तोड़ रहा है ।

!! आकाशवाणी !!

Language: Hindi
141 Views
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