Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2021 · 1 min read

गिरेबान

लोग गैरों पर तो उंगली उठाते है ,
मगर अपना गिरेबान नही देखते है ।

अपना गुनाह देखने की फुर्सत नही ,
गैरों के लिए तो वक्त निकाल लेते है ।

उनको गर कोई दिखाना चाहे आईना ,
तो आईने को तोड़ने पर आमदा होते है ।

खुद को वो समझते है दूध का धुला,
गैरों को मैल से भरा हुआ समझते है ।

उन पर उठती खुद की तीन उंगलियां ,
गर वो एक भी उंगली गैरों पर उठाते है ।

मगर ये राज वो कहां जानते है क्योंकि ,
अपनी ओर मुड़ी उगलियां नहीं देखते है !

खुदा ने कुछ सोचकर ये निजाम बनाया,
मगर यह इंसानों के गुरुर कहां समझते है ।

गुरुर कभी भी अपनी ओर नहीं देखता ,
तभी आईने को लोग खुद से दूर रखते हैं।

गैरों के दोष देखने से पहले खुद का देखे ,
ऐसे इंसान ही “ए अनु” फरिश्ते होते है ।

6 Likes · 4 Comments · 427 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
Mahendra Narayan
मन मेरे तू, सावन-सा बन...
मन मेरे तू, सावन-सा बन...
डॉ.सीमा अग्रवाल
" मेहबूब "
Dr. Kishan tandon kranti
प्यार गर सच्चा हो तो,
प्यार गर सच्चा हो तो,
Sunil Maheshwari
4900.*पूर्णिका*
4900.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोहावली
दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
मसला ये नहीं कि लोग परवाह क्यों नहीं करते,
मसला ये नहीं कि लोग परवाह क्यों नहीं करते,
पूर्वार्थ
मत कुरेदो, उँगलियाँ जल जायेंगीं
मत कुरेदो, उँगलियाँ जल जायेंगीं
Atul "Krishn"
क्या अच्छा क्या है बुरा,सबको है पहचान।
क्या अच्छा क्या है बुरा,सबको है पहचान।
Manoj Mahato
जीते जी होने लगी,
जीते जी होने लगी,
sushil sarna
ये कटेगा
ये कटेगा
शेखर सिंह
बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!
बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!
Rituraj shivem verma
जब  भी  तू  मेरे  दरमियाँ  आती  है
जब भी तू मेरे दरमियाँ आती है
Bhupendra Rawat
ज़िन्दगी का मुश्किल सफ़र भी
ज़िन्दगी का मुश्किल सफ़र भी
Dr fauzia Naseem shad
"साम","दाम","दंड" व् “भेद" की व्यथा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
कस्तूरी (नील पदम् के दोहे)
कस्तूरी (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
सन्तुलित मन के समान कोई तप नहीं है, और सन्तुष्टि के समान कोई
सन्तुलित मन के समान कोई तप नहीं है, और सन्तुष्टि के समान कोई
ललकार भारद्वाज
"चुभती सत्ता "
DrLakshman Jha Parimal
छठ व्रत की शुभकामनाएँ।
छठ व्रत की शुभकामनाएँ।
Anil Mishra Prahari
नादान परिंदा
नादान परिंदा
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
गर्मी
गर्मी
Ranjeet kumar patre
वेदना
वेदना
AJAY AMITABH SUMAN
ଅତିଥି ର ବାସ୍ତବତା
ଅତିଥି ର ବାସ୍ତବତା
Bidyadhar Mantry
इश्क पहली दफा
इश्क पहली दफा
साहित्य गौरव
ग़ज़ल _ अँधेरों रूबरू मिलना, तुम्हें किस्सा सुनाना है ।
ग़ज़ल _ अँधेरों रूबरू मिलना, तुम्हें किस्सा सुनाना है ।
Neelofar Khan
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
शुभ धनतेरस
शुभ धनतेरस
Sonam Puneet Dubey
*लिखते खुद हरगिज नहीं, देते अपना नाम (हास्य कुंडलिया)*
*लिखते खुद हरगिज नहीं, देते अपना नाम (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
..
..
*प्रणय*
बेवजह बदनाम हुए तेरे शहर में हम
बेवजह बदनाम हुए तेरे शहर में हम
VINOD CHAUHAN
Loading...