” गिनती “
” गिनती ”
तुमसे बढ़ कर
मेरे पास और कोई दौलत ही नहीं,
ऐ सुन लो जरा
मेरी गिनती मुफ़लिसों में करने को
मना कर दिए हैं शाहों ने।
” गिनती ”
तुमसे बढ़ कर
मेरे पास और कोई दौलत ही नहीं,
ऐ सुन लो जरा
मेरी गिनती मुफ़लिसों में करने को
मना कर दिए हैं शाहों ने।