गांव तो गांव होना चाहिए
गांव तो गांव होना चाहिए
नदियां, पोखर और
तालाब होना चाहिए
बुजुर्ग बरगद बाबा की
सेवा होनी चाहिए
हर डाल पर गिलहरियों का
बसेरा होना चाहिए
सभी परिंदों की भी
अपना घोंसले होनी चाहिए
उल्लुओं और झिंगुरों की
आवाज़ आनी चाहिए
न उजारे हम बांस की
बंसवारी को
जिससे चरचराहट की
आवाज आनी चाहिए
बचा कर रखें हम
आम इमली के बगिया को
जिसके छांव में बैठकर
ठंढी आराम होनी चाहिए।
गांव तो गांव होना चाहिए।