गाँव की है धानी सी धरा//गीत
गाँव की है धानी सी धरा
अमिट यहाँ कुदरत की माया
देख मन- मयूरा झूम उठा
सावन श्याम घटा है छाया
सुरमई मतबाली है शाम
दुल्हन यहाँ धरती की रानी
मधुरं है गाँवों का भारत
जहा में है ना रे अनोखा
ये चित्रमयी भारत है केनिशा
चंदन धरा हर राह कुनिका
कशिश,कृपी,क्यमत हर दिशा
अजब-गजब कुदरत की कलिका
उड़ती है अंबर में गगनचर
गाती है वन में वनप्रिया
देखो रे यहाँ स्वर्ग है धरा
चहुंओर है हरित चुनरिया
धूप छाँव सी दिव्य जीवन
गाँव की धरती है रे कमला
उन्मुक्त है जीवन नहीं बंदिश
मनरंगी-सतरंगी है आसमां
गीतकार:-दुष्यंत कुमार पटेल”चित्रांश”