गाँधी को हक दे दो
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अब गांधी को आओ, उसका हक दे दो।
रस्तों से उठाओ,जीवन में जगह दे दो।
संकल्प उनका सुधिजन,अधूरा नहीं रहे।
चाहे तो तन,मन,जीवन;प्राण तक दे दो।
युग का तुम्हारे लोगो आदर्श ही तो था।
हिंसा को त्याग,सत्य का सबक ले लो।
‘किसी और हेतु’ जीवन जिया है जिसने।
उस आदमी को आदमी की जगह दे दो।
‘क्यों था महान सोच’,विचारो ऐ,आम-जन।
व अपने विचारों को मानवीय महक दे दो।
वह अर्ध-नग्न आकृति हसरत से देखता।
तन ढंके कि वस्त्र-खादी यत्न-पूर्वक दे दो।
खादी में हों धूल कई और भूल भी कई।
सक्षम हो तो खादी को कोई पदक दे दो।
उसने जिया था जीवन, तेरे जीने के लिए।
तुम दूसरों के हित जिए, एक रूपक दे दो। (लक्षण)
गांधी ने पोंछे हैं दु:ख के आँसुओं के सैलाब।
उस दु:ख के समुंदर को आओ नरक दे दो।
जितना नि:स्वार्थ कर्म करने वाले थे गांधी।
उतना ही बड़ा सम्मान का एक फ़लक दे दो।
अब गांधी को आओ, उसका सारा हक दे दो।
रस्तों से उठाओ, तेरे जीवन में जगह दे दो।
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