ग़म-ख़ुशी सब परख के चुप था वो- संदीप ठाकुर
ग़म-ख़ुशी सब परख के चुप था वो
ज़िंदगी तुझको चख के चुप था वो
लोग तारे दिखा रहे थे पर
जेब में चाँद रख के चुप था वो
संदीप ठाकुर
ग़म-ख़ुशी सब परख के चुप था वो
ज़िंदगी तुझको चख के चुप था वो
लोग तारे दिखा रहे थे पर
जेब में चाँद रख के चुप था वो
संदीप ठाकुर