ग़ज़ल _ तुम फ़ासले बढ़ाकर किसको दिखा रहे हो ।
आदाब दोस्तों 🌹💖
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बह्र.. 221 2122 221 2122
मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन
काफ़िया === आ /// रदीफ़ === रहे हो
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#ग़ज़ल
1…
तुम फ़ासले बढ़ा कर किसको दिखा रहे हो !
ये फ़ैसला तुम्हारा किसको सुना रहे हो !!
2…
दिल को चुरा के तुम क्यों, नज़रें चुरा रहे हो !
नज़दीक आ रहे हो , क्या गुनगुना रहे हो !!
3…
माना ग़लत है वो भी ,तुम भी कहाँ सही थे !
बे वजह शोर कर – कर ,उसको झुका रहे हो !!
4…
नादान नाज़नीं है ,कोई ख़ता न उसकी !
ये जानते हुए भी , पत्थर उठा रहे हो !!
5…
वादा न कर सके हो, पूरा यहाँ किसी का !
अब क्यों यहाँ तामाशा उसका बना रहे हो !
6…
चारों तरफ भयानक , गर्मी उबल रही है !
ऐसे में आ के हमको शरबत पिला रहे हो !!
7..
गुस्सा न हो सनम तुम , एक बार तो सुनो तुम !
छोटी है ज़िन्दगी ये , क्यों खार खा रहे हो !!
8..
आओ चलें वहाँ पर , गुलशन खिला हुआ है !
कोयल सुना रही है , सँग तुम भी गा रहे हो !!
9..
कितने जतन किये हैं ,अब तक न वो है बदला !
फिर ‘नील’ सामने हो , दिल क्यों जला रहे हो !!
✍नील रूहानी . 31/05/22..🤔
( नीलोफर खान ) ☺