तेरी दहलीज पर झुकता हुआ सर लगता है
तेरी दहलीज पर झुकता हुआ सर लगता है।
मुझे अब अपनी अना से भी डर लगता है।
मेरी रूह भी बसने लगी है तेरे शहर में।
हयात जितना है सामान ए सफर लगता है।
तेरी दहलीज पर झुकता हुआ सर लगता है।
मुझे अब अपनी अना से भी डर लगता है।
मेरी रूह भी बसने लगी है तेरे शहर में।
हयात जितना है सामान ए सफर लगता है।