तुझ में जो खो गया है वह मंज़र तलाश कर। बाहर जो ना मिले उसे अंदर तलाश कर।
तुझ में जो खो गया है वह मंज़र तलाश कर।
बाहर जो ना मिले उसे अंदर तलाश कर।
जो शख्सियत निखार दे उसको वली बना।
खुद से जो बेहतर हो, वह कलंदर तलाश कर।
कामयाबी के लिए तुझको है मशवरा।
फूलों के नहीं कांटों के बिस्तर तलाश कर।
मंजि़ल से पहले तुझको मुसाफिर कहां सुकून।
किस्मत बदल दे मील के पत्थर तलाश कर।
तेरे लिए आसान नहीं कुछ यहां “सगीर”।
दरिया को कर उ़बूर समंदर तलाश कर।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी बहराइच