ग़ज़ल :– मेरे यार का दामन दागी निकला !!
ग़ज़ल :–मेरे यार का दामन दागी निकला !!
गज़लकार :– अनुज तिवारी “इन्दवार”
मान बैठे हिम , वो आगी निकला !
मेरे यार का दामन दागी निकला !!
ये तबस्सुम दी ये आबरू जिसे !
वो बेआबरू अभागी निकला !!
हमने उनका एकतिजाज ना किया !
वो रहजनी का बुनियादी निकला !!
झूठे अफसानो को तामीर करने वाला !
वो बस हुस्न का आदी निकला !!
बेइम्तहान् चाहा था जिसको !
ना पाकी नजर का ना हाजी निकला !!
मखरुती निगाहे निदामत भरी जिन्दगी !
वो अनफास की महबस माजी निकला !!