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5 Aug 2021 · 1 min read

ग़ज़ल – असर देख रहे हैं

ग़ज़ल – असर देख रहे हैं

हम अपनी उन्नति का असर देख रहे हैं।
अश्लीलता का फैला ज़हर देख रहे हैं।।

होने लगी है धर्म पे अब राजनीति भी।
दंगों में आज जलता शहर देख रहे हैं।।

मिलते ही नज़र देखिए शरमा गये हैं वो।
हम अपनी मोहब्बत का असर देख रहे हैं।।

‘राना’ से दूर कितने भी हो,चाहे,वो,लेकिन
मन से तो उन्हें शामों सहर देख रहे हैं।।
***
© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

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