गलतियां
कभी कभी जीवन में ऐसी गलतियां हो जाती हैं,
जिनका प्रायश्चित करना मुमकिन नहीं हो पाता,और,
उनकी सजा ताउम्र मिलती रही है, और,
उनकी गलतियों की यादें हमेशा तरोताजा रहती हैं।
………………
फिल्म के सीन की तरह ये गलतियां,
हमेशा याद रहती हैं, जिसमें,
कभी खुद ही हीरो के किरदार में नजर आते हैं, तो,
कभी खुद ही विलेन नजर आते हैं,
कभी स्टोरी राइटर तो कभी प्रोड्यूसर नजर आते हैं।
…………………..
गलतियों की इस फिल्म में एक इंटरवल जरूर होता है,
जिसे प्रायश्चित कहते हैं, और,
इस इंटरवल में पिछली एक- एक घटना दृश्य के समान,
बदलती हुई नजर आती है, और,
जो भविष्य के जीवन के प्रति भी सचेत करती हैं।
………….
इंटरवल के बाद यदि इन्सान अपने में,
परिर्वतन करता है तो संभल जाता है जीवन,
अन्यथा शेष जीवन में गलतियों के,
बलंडर धमाके होना शुरू हो जाते हैं,
और एक दिन इन्सान गुनाहों के दलदल में,
पूरी तरह से लिप्त हो जाता है, और,
फिर शुरू होता है, यातनाओं का दौर
जिसमें उसे तरह तरह की यातनाएं मिलती हैं।
……….
यही यातनाएं दिनोंदिन इतना ज्यादा परेशान करती हैं,
कि वह नर कंकाल बन जाता है,
उसकी ठठरी कमजोर हो जाती है,
सांस और श्वास में अंतर नहीं रह पाता,
और, एक दिन समा जाता है वह मुट्ठी भर स्वाहा में।
घोषणा: उक्त रचना मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है। यह रचना पहले फेसबुक पेज या व्हाट्स एप ग्रुप पर प्रकाशित नहीं हुई है।
डॉ प्रवीण ठाकुर
भाषा अधिकारी,
निगमित निकाय भारत सरकार
शिमला हिमाचल प्रदेश।