गलतफहमी
दीवाना बना फिरता था मैं जिसके इश्क में,
मासूमियत से उसने हसरत बता दिया।
रखना खयाल मेरे बूढ़े अब्बू जान की,
शौहर से मिला करके नफरत जता दिया।
अब क्या करूं अफसोस मैं खुद ने गुनाह की
मासूम से आशिक को क्याक्या बना दिया।
“संजय” मैं सहा कैसे वो आखिरी अल्फाज,
बच्चों का उसने मुझको मामा बना दिया।
संजय