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6 Jul 2021 · 1 min read

गरीबी

गरीबी
++++

गरीबी की जात नहीं होती
वो अभिशाप है
जिसे मिलती है सारा कुछ
आधा अधूरा देती है

न भरपेट अनाज मिलता है
तन पर वस्त्र न पूरा
न दोस्त रिश्तेदार

सर के ऊपर छत फूस की
जो आंधी आए
तो छिन जाती है

बारिश का मौसम
रात आधी कटे आंखों में
तैरते बर्तनों के बीच

चूल्हा भी सुलगता आधा
कभी आग कभी धुआं
आंसू आंख से
छलकाता हुआ, पर पूरा।
_
निशि सिंह

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 328 Views
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