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18 Mar 2020 · 1 min read

गद्दार हो गए हम

दिल के तुम्हारे जब से सरकार हो गए हम
सारी बुराइयों के अवतार हो गए हम

उलझे जो जा के तेरी जुल्फों की झुरमुटों में
रुसवा शहर में अपने इस बार हो गए हम

हालत हुई है ऐसी सब लोग कह रहे हैं
पहले थे काम के अब बेकार हो गए हम

जब से उतारी हमने ये जात वाली केंचुल
तब से खुदा के घर में स्वीकार हो गए हम

झूठों के अंजुमन में सच बात बोलते ही
खोई वतनपरस्ती गद्दार हो गए हम

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