गणपति जी हैं सबके प्यारे
गणपति जी हैं सबके प्यारे,
शिव गौरा के राजदुलारे,
मोदक उनको बहुत हैं भाते,
बड़े प्यार और चाव से खाते,
भोली और प्यारी सी सूरत,
सवारी बने हैं उनकी, मूषक
रिद्धि सिद्धि के हैं दाता,
हम सबके वह भाग्यविधाता,
देवों में वह देव हमारे,
सबसे पहले उनकी पूजा करते हैं सारे,
गणेश चतुर्तिथि जब भी आये,
बड़े प्यार से सब हैं मनायें,
जो उनकी पूजा है करते,
गणपति उनके विघ्न है हरते,
जिनके घर गणेशा जाते,
मंगल ही मंगल सब होता,
दुःख संताप मिटते हैं सारे।
कहत पा”रस” सब हारे।।