गणगौर का त्योहार
करी घनघोर तपस्या, गौरी ने दी हर परिक्षा,
शिवजी का जीता मन, हुई पूरी हर इच्छा।
गौरी शिव का मिलन और प्यार,
दर्शाता गणगौर का त्योहार।
गण तो है शिव रूप, गौरी पार्वती का स्वरूप,
बनी अमर ये जोड़ी, ईसर और गणगौर के मुरतरूप।
करे सुहागन सोलह श्रंगार, व्रत में ले फलाहार,
बनी रहे उनकी जोड़ी, जैसे शिव-पार्वती,
मिले उन्हें आशीर्वाद, ईसर और गणगौर समान।
कुँवारी कन्याएँ मांगें दुआ, मिले उन्हें भी ऐसा प्यार,
जो निभाए सात जन्म और हो जाए बेड़ापार।
मायके से मिले सिंज़ारा, घेवर – वस्त्र और साजो श्रंगार,
सास भी दे सिंज़ारे के रूप में अपना आशीर्वाद।
ढ़ोल-बाजे, गीत-संगीत, नृत्य कर,
शिव-पार्वती को रिझाने का ना खोए कोई अवसर।
पाकर माँ गणगौर का आशीर्वाद,
सदा-सुहागन रहे हर जोड़ी और अमर रहे ये प्यार।
मनाए हर्षोल्लास से हर त्यौहार, रंग-रंगीला राजस्थान,
हमारा प्रदेश भारतवर्ष की है आन-बान और शान।