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25 Apr 2017 · 1 min read

कविता//ओ बहना मेरी

ओ बहना ख़ुश रहना , रहे दूर हर ग़म।
छूना हर ऊँचाई , जीवन सुंदरतम।।

हर हसरत पूरी हो , जीवन नूरी हो।
चित-आँगन में ख़ुशियाँ , नाचें छमछमछम।।

राखी बने प्रेरणा , मान करूँ सबका।
समदर्शी रहे हृदय , लेता आज क़सम , ।।

रक्षा ख़ुद से पहले , करूँ बहन तेरी।
फूल बनूँ पग-पग में , तोडूँ शूल सितम।।

नीर कभी नैनों में , नहीं देख सकता।
बहना हँसती देखूँ , स्वप्न यही हरदम।।

कभी मुझे याद करे , मैं दौड़ा आऊँ।
बन जाऊँ ख़ुशियों का , बहना मैं माध्यम।।

जग में हर भाई का , कर्तव्य यही है।
सबकी बहने समझे , अपनी बहना सम।।

स्वर्ग यहीं नरक यहीं , है बहना मेरी।
नहीं देख पाए यह , इंसान दृष्टि भ्रम।।

बेटा-बेटी को दो , संस्कारी जीवन।
हर रिस्ता होगा यूँ , चाहत से क़ायम।।

प्रीतम ख़ुद पर लागू , वही बात करना।
जीवन का हरपल हो , फिर सुखद मधुरतम।।

#आर.एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 468 Views
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