कविता//ओ बहना मेरी
ओ बहना ख़ुश रहना , रहे दूर हर ग़म।
छूना हर ऊँचाई , जीवन सुंदरतम।।
हर हसरत पूरी हो , जीवन नूरी हो।
चित-आँगन में ख़ुशियाँ , नाचें छमछमछम।।
राखी बने प्रेरणा , मान करूँ सबका।
समदर्शी रहे हृदय , लेता आज क़सम , ।।
रक्षा ख़ुद से पहले , करूँ बहन तेरी।
फूल बनूँ पग-पग में , तोडूँ शूल सितम।।
नीर कभी नैनों में , नहीं देख सकता।
बहना हँसती देखूँ , स्वप्न यही हरदम।।
कभी मुझे याद करे , मैं दौड़ा आऊँ।
बन जाऊँ ख़ुशियों का , बहना मैं माध्यम।।
जग में हर भाई का , कर्तव्य यही है।
सबकी बहने समझे , अपनी बहना सम।।
स्वर्ग यहीं नरक यहीं , है बहना मेरी।
नहीं देख पाए यह , इंसान दृष्टि भ्रम।।
बेटा-बेटी को दो , संस्कारी जीवन।
हर रिस्ता होगा यूँ , चाहत से क़ायम।।
प्रीतम ख़ुद पर लागू , वही बात करना।
जीवन का हरपल हो , फिर सुखद मधुरतम।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’