ख्वाबो मे पाता था
उन खिड़कियों को देख कर तड़प उठता हूं,
जिनसे तुम्हारे झाकने की झलक पाता था।
तुम राग थी अब रोग हो इस सूने आंगन की,
तेरी जुल्फों में मेरा सर बड़ा सुकून पाता था।
ले चल मुझे उस ठाँव जहाँ तू आज रहती हैं,
लिपट बाहों में तेरे मैं अजब सा चैन पाता था।
कभी छुपके कही खामखा परेशान करती थी,
तो आंखें बंद करके मैं तुझे ख्वाबों में पाता था।