खो गये
ईमान खो गये है ,फिर हम किसे पुकारे
कोई नहीं सहारा , भगवान है हमारे
हर ओर है अराजकता कोन अब संभाले
अवतार ले अभी कोई फिर यहाँ पधारे
बिन मौत ही मरे क्यों इंसाँ अभी विचारे
है जिन्दगी कठिन कैसे हम गुजारे
बेहाल हो गयी जनता, है जमीं पे तारे
अब सूझता नहीं कुछ हम तो यहीं है हारे
कोई नहीं ठिकाना , जाकर रहूँ कहा मैं
विनती करूँ प्रभू से , तू ही लगा किनारे
जीना हुआ कठिन कोई दे न अब सहारे
रिश्ते निभा न पाये, सबके पड़ी दरारे
तब बात एक मेरी भी मान लो अभी तुम
देखे बुरी नजर जो दो तुम जबाब खारे
गिरवी रखे वतन जो वो ही इसे सभाँले
लगते नहीं हमें तो महफूज अब इशारे