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11 Apr 2024 · 1 min read

खुला खत नारियों के नाम

इक्कीसवीं सदी की नारियों
तुम सदियों से रही हो
अपनी सेहत के मसलों से लापरवाह,
जब चलना शुरू करती हो
तब तन-मन की गाड़ी रुकती नहीं
चाहे हृदय से निकले आह।

बिस्तर से उठ जाती तभी
जब सूरज भी बनाया न होता
तेरी जमीं को झाँकने का मन,
जब खुद सोने लगती रात
जाती हो तब बिस्तर में
वो भी काम छोड़कर अनमने मन।

एनीमिया से पीड़ित हैं आज
तेरी सत्तावन फीसदी जमात,
हर दिन पाव भर धूप का टुकड़ा
तुम्हारे बदन पर ठिठके
इतनी भी मोहलत नहीं तुम्हारे पास।

रसोई जिमाती हो सबको
तुम भी भर पेट खाती काश,
किस चिड़िया का नाम है जिन्दगी
ये समझती हो अच्छी तरह
मगर खुद की सेहत के वास्ते
क्यों करती ना ये अहसास।

इमोशनल हेल्थ की धज्जियाँ उड़ाती
ऊपर से पीठ और जोड़ों का दर्द,
मौसम के साथ-साथ ही
होती रहती सेहत गर्म वो सर्द,
अब तो डिप्रेशन को भी
चोर दरवाजे से
जिन्दगी में शामिल कर चुकी हो,
एकदम हैरान हूँ मैं
बावजूद तुम हैरान नहीं हो।

नारी शक्ति पर आधारित पुस्तक
‘आधी दुनिया’ के बाद
मेरी प्रकाशित द्वितीय काव्य-कृति :
‘बराबरी का सफर’ से,,,

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति।

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 100 Views
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