गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
तरुण
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं।
*रामपुर की दिवंगत विभूति*
हमारे बिना तुम, जी नहीं सकोगे
डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के प्रपंच
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
ना प्रेम मिल सका ना दोस्ती मुकम्मल हुई...
जाने कब दुनियां के वासी चैन से रह पाएंगे।