खुद से मिल
हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें
शोर करेगी हवाऐं
पंछी भी क्षितिज की ओर उड़ानें भरेंगे
नदियां सागर से मिलेगी
मिलन के गीत गाए जाएगे
ओर हमको एक दिन भुला दिया जाएगा
तो
दिल खोल के खुद से मिल
बहारों से धुन चुरा
हवाओं के संग बह जा
पंछी की तरह क्षितिज तक जा
एक नदियां सी प्यास जगा
जा सागर से मिल के आ
मिलन के गीत तू भी गा
कुछ पल के लिए ही सही पर
दुनिया को भूल जा
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)