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26 Mar 2020 · 1 min read

खुद से गर गुमशुदा नहीं होता

खुद से गर गुमशुदा नहीं होता
दर्द दिल में जमा नहीं होता

हर समय एहतियात रखनी है
कहके तो हादसा नहीं होता

आँसुओं के बगैर दुनिया में
कर्ज़ गम का अदा नहीं होता

बात हालात की भी होती है
हर कोई बेवफा नहीं होता

ज़िन्दगी काट दी अकेले ही
अब किसी से गिला नहीं होता

कल क्या होगा न जानता कोई
वक़्त का रुख पता नहीं होता

इश्क का आसमान है सारा
कोई तय दायरा नहीं होता

खेल जो मौत ज़िन्दगी का है
किसको ये खेलना नहीं होता

‘अर्चना’ गम न तुम करो इतना
वक़्त ये एक सा नहीं होता

25-03-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

3 Likes · 1 Comment · 372 Views
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