Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2024 · 4 min read

*गुरुग्राम में चयनित-स्थल विवाह (डेस्टिनेशन वेडिंग) 2,3,4 फर

गुरुग्राम में चयनित-स्थल विवाह (डेस्टिनेशन वेडिंग) 2,3,4 फरवरी 2024
🪴🍃🍃🍂🍃🍃🪴
हमारे चाचा जी डॉक्टर एस.के. अग्रवाल तथा चाची जी श्रीमती प्रतिभा अग्रवाल के धेवते चिरंजीव कनव का विवाह आयुष्मति परिधि के साथ चार फरवरी 2024 को संपन्न हुआ। हमें भी सपरिवार विवाह में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। चाचा जी की सुपुत्री जूली तथा उनके पति पवन अग्रवाल जी काशीपुर (उत्तराखंड) के निवासी हैं। जबकि कन्या पक्ष कोलकाता के निवासी हैं। डेस्टिनेशन वेडिंग के तौर पर गुरुग्राम (गुड़गांव) के द वेस्टिन सोहना रिजॉर्ट एंड स्पा का विवाह-स्थल के रूप में चयन हुआ। तीन दिवसीय डेस्टिनेशन-वेडिंग का कार्यक्रम अत्यंत आनंददायक रीति से संपन्न हुआ। वर पक्ष तथा कन्या पक्ष के सभी लोग एक साथ ठहरे थे। एक होटल ताज दमदमा भी था, जिसमें हम लोग तथा सहारनपुर से आई हुई हमारी सुधा बुआ जी तथा उनके परिवार सहित अन्य लोग ठहराए गए थे। यह एक प्रकार से पारिवारिक पिकनिक थी।
2 फरवरी को सगाई का कार्यक्रम रहा। 3 फरवरी को दिन निकलने के उपरांत हल्दी, भात तथा शाम को महिला संगीत का आयोजन रहा। 4 फरवरी को जयमाला (वरमाला) तथा फेरों का कार्यक्रम दिन में आयोजित किया गया। यह विवाह वास्तव में एक उत्सव के रूप में मनाया गया। हम तीन और चार फरवरी के कार्यक्रमों में रामपुर/ मुरादाबाद से दो कारों से चलकर शामिल हुए।

3 तारीख को दिन का पहला कार्यक्रम हल्दी का था। दूल्हे को हल्दी लगाई गई और पीले फूलों की बिखेर से वातावरण में सर्वत्र मानो वसंत ही छा गया। पीली साड़ियों से सजी-धजी स्त्रियों तथा पीले कुर्तों से सुसज्जित पुरुषों के सिर के ऊपर आकाश से गिरते हुए पीले फूलों की महक विवाह स्थल पर देवलोक की सृष्टि कर रही थी। सब लोग आनंद में डूबे हुए थे। मस्ती छाई थी। नृत्य के लिए पैर स्वयं ही थिरक रहे थे।

हल्दी के बाद भात का कार्यक्रम हुआ। इसमें हमारे चाचा जी के सुपुत्र डॉक्टर तुषार (इंग्लैंड निवासी) ने अपनी बहन जूली को चुॅंदरी ओढ़ाई। इस कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि वर पक्ष के लोग एक तरफ खड़े थे तथा वर की ननिहाल के लोग अर्थात हम लोग दूसरी तरफ खड़े थे। परस्पर स्नेह में डूबी रस्मों के साथ-साथ दो-तीन दशक पुरानी रिश्तेदारी का माहौल फिर से ताजा हो रहा था।

दोपहर का भोज सोहना वेस्टिन रिजॉर्ट एंड स्पा में ही था। चारों तरफ पेड़-पौधे और हरियाली छाई हुई थी। इसी बीच हमारे पोते और पोती को एक मोर घास पर चलता हुआ दिखाई दे गया। बस फिर क्या था, दोनों बच्चे मोर को देखने के लिए उसकी तरफ भागे। करीब दो-तीन मिनट तक मोर सड़क पर चलता हुआ उन्हें दिखाई देता रहा। जब तक वह झाड़ियों में जाकर छुप नहीं गया, दोनों बच्चे उसे एकटक निहारते रहे। बच्चों को मोर देखने का यह प्रथम अनुभव था। वह रोमांचित थे। रिसोर्ट के प्राकृतिक वातावरण के मध्य ही मोर का चलते-फिरते दिखाई दे जाना संभव हो सका।

दोपहर भोज के बाद सब अपने-अपने कमरों में जाकर विश्राम करने लगे। हम भी ताज दमदमा रिजॉर्ट में चले गए।
शाम को करीब 5:30 बजे हमारे विश्राम-स्थल होटल पर ही चाय(हाई टी) का आयोजन था। जब हम लोग पहुंचे तो सुधा बुआ जी और उनका परिवार उपस्थित था। बेटे-बहू साथ में थे। पौत्र आकाश से भी बातें करने का खूब अवसर मिला। इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। स्वभाव मधुर है। पारिवारिक संस्कृति का सद्प्रभाव तीसरी पीढ़ी पर भी साफ नजर आ रहा था।

शाम को आठ बजे हम लोग पुनः अपनी-अपनी कार से विवाह स्थल द वेस्टिन सोहना रिजॉर्ट एंड स्पा पर गए। वहॉं महिला संगीत का कार्यक्रम था।
कार्यक्रम की शुरुआत जूली और उनकी बेटी के सामूहिक नृत्य से हुई। अच्युतम केशवम् गीत के बोल थे। आध्यात्मिकता से ओतप्रोत इस गीत की सुंदर एवं मनोहारी प्रस्तुति देखकर हमें नीता अंबानी द्वारा अपने पुत्र के विवाह के अवसर पर प्रस्तुत किए गए नृत्य की देखी गई वीडियो का स्मरण हो आया । शालीन, सभ्य और सुसंस्कृत यह प्रस्तुति अपवाद रूप में ही किसी-किसी महिला संगीत में देखने को आती है। अन्य अनेक नृत्य हुए। दोनों पक्षों की ओर से एक से बढ़कर एक नृत्य का प्रस्तुतिकरण मनोहारी था। महिला संगीत के उपरांत रात्रिभोज हुआ। तत्पश्चात हमें वापस ताज दमदमा रिसोर्ट वापस लौटने में रात के करीब बारह बज गए।

अगले दिन सुबह हल्की बूॅंदाबॉंदी ने कार्यक्रम को थोड़ा परिवर्तित कर दिया। जयमाला के उपरांत होने वाले दोपहर भोज का आयोजन पहले खुले मैदान में रखा गया था। लेकिन बादलों के नर्तन ने इस कार्यक्रम को एक हॉल में आयोजित करने का रास्ता पकड़ लिया। दोपहर का भोज तो हॉल में ही संपन्न हुआ लेकिन बादलों की कृपा रही। मौसम खुला था। इसलिए खुली कार में दूल्हा और उसकी बहन बैठकर धूमधाम से बारात निकाल सके। बराती हमेशा की तरह पैदल चलते रहे। कोई व्यवधान नहीं आया।
अच्छा मौसम होने के कारण वरमाला (जयमाला) का कार्यक्रम भी खुले मैदान में हो सका। जयमाला के समय दो-ढाई सौ नर-नारी हर्ष-ध्वनि करने के लिए उपस्थित थे।
जयमाल के उपरांत फेरों का कार्यक्रम था। फेरों के समय दो-चार बूॅंदों ने एक प्रकार से आसमान से नाममात्र को पवित्र जल का छिड़काव अवश्य किया, अन्यथा वर्षा का व्यवधान अनुपस्थित ही रहा।

कुछ बाराती हवाई जहाज से आए थे। उन्हें हवाई अड्डे के निकट ही एयरोसिटी होटल में ठहराया गया था। विवाह में भाग लेने के लिए अलग-अलग शहरों से बल्कि कहना चाहिए कि अलग-अलग प्रांतों से आए हुए दोनों पक्षों के संबंधियों और मित्रों ने बढ़िया पिकनिक मनाई। डेस्टिनेशन वेडिंग का यही तो आनंद है।

विवाह में वेडिंग प्लानर की भी भूमिका रही। वेडिंग प्लानर ने विवाह में आने वाले सभी व्यक्तियों से संपर्क करते हुए उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखा। समय-समय पर सब प्रकार की सूचनाऍं दीं और कार्यक्रम को निश्चित समय के साथ-साथ सुनियोजित ढंग से संपन्न कराने में बड़ी भूमिका निभाई।
विवाह-कार्यक्रमों में एक महिला संचालक की भूमिका की भी अनदेखी नहीं की जा सकती। कुशल संचालिका अवसर के अनुरूप कार्यक्रमों के बारे में परिचय देने में दक्ष थीं। अवसर के अनुरूप ही संचालिका महोदय द्वारा लोकगीत भी प्रस्तुत किए गए।
——————
लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

74 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
दोहा त्रयी. . . . .
दोहा त्रयी. . . . .
sushil sarna
अवधी मुक्तक
अवधी मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
"अगली राखी आऊंगा"
Lohit Tamta
तुम न आये मगर..
तुम न आये मगर..
लक्ष्मी सिंह
मुफलिसों को जो भी हॅंसा पाया।
मुफलिसों को जो भी हॅंसा पाया।
सत्य कुमार प्रेमी
#जगन्नाथपुरी_यात्रा
#जगन्नाथपुरी_यात्रा
Ravi Prakash
मुट्ठी में बन्द रेत की तरह
मुट्ठी में बन्द रेत की तरह
Dr. Kishan tandon kranti
लिये मनुज अवतार प्रकट हुये हरि जेलों में।
लिये मनुज अवतार प्रकट हुये हरि जेलों में।
कार्तिक नितिन शर्मा
तारीफ किसकी करूं किसको बुरा कह दूं
तारीफ किसकी करूं किसको बुरा कह दूं
कवि दीपक बवेजा
🌷साथ देते है कौन यहाँ 🌷
🌷साथ देते है कौन यहाँ 🌷
Dr.Khedu Bharti
Mujhe laga tha ki meri talash tum tak khatam ho jayegi
Mujhe laga tha ki meri talash tum tak khatam ho jayegi
Sakshi Tripathi
संदेश बिन विधा
संदेश बिन विधा
Mahender Singh
गर्दिश में सितारा
गर्दिश में सितारा
Shekhar Chandra Mitra
नौकरी
नौकरी
Rajendra Kushwaha
चुनौतियाँ बहुत आयी है,
चुनौतियाँ बहुत आयी है,
Dr. Man Mohan Krishna
शायरी - संदीप ठाकुर
शायरी - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
फूल और तुम
फूल और तुम
Sidhant Sharma
कितना बदल रहे हैं हम ?
कितना बदल रहे हैं हम ?
Dr fauzia Naseem shad
आज की नारी
आज की नारी
Shriyansh Gupta
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
Amit Pathak
“ कौन सुनेगा ?”
“ कौन सुनेगा ?”
DrLakshman Jha Parimal
मुसाफिर
मुसाफिर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा
पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
आप और हम जीवन के सच............. हमारी सोच
आप और हम जीवन के सच............. हमारी सोच
Neeraj Agarwal
नन्हीं बाल-कविताएँ
नन्हीं बाल-कविताएँ
Kanchan Khanna
सब्र रख
सब्र रख
VINOD CHAUHAN
"ओट पर्दे की"
Ekta chitrangini
ढूँढ़   रहे   शमशान  यहाँ,   मृतदेह    पड़ा    भरपूर  मुरारी
ढूँढ़ रहे शमशान यहाँ, मृतदेह पड़ा भरपूर मुरारी
संजीव शुक्ल 'सचिन'
गंणतंत्रदिवस
गंणतंत्रदिवस
Bodhisatva kastooriya
मैं उसका ही आईना था जहाँ मोहब्बत वो मेरी थी,तो अंदाजा उसे कह
मैं उसका ही आईना था जहाँ मोहब्बत वो मेरी थी,तो अंदाजा उसे कह
AmanTv Editor In Chief
Loading...