खत
लो फिर किसी की बात किसी तक पहुंच गई
यूं लगा कि किसी की आरजू पूरी हो गई |
वो तो गुदगुदा गए मन ही मन अनंत
कि उनकी निगाह उनके खत पर पड़ गईं |
क्या हुआ कि खत को पढ़ा और मुस्कुरा गए वो
शायद उनकी समझ में उनकी बात आ गई |
ऐ काश कि वो उनसे इतनी दूर न होते
खत तो था करीब मगर वो इतने मजबूर न होते |
लो फिर यही खाव उनकी आरजू बन गया
ये आरजू उनकी इक जिद हो गई |