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25 Jan 2018 · 1 min read

‘करणी’ के कर्म

“क्षत्रिय” तेरी तलवार में नहीं वह धार
जिस दिन से तुमने किया, नौनिहालों पर प्रहार !!

कुन्द कर गए, राम का इतिहास
नहीं बची चौहानों में वह बात
कुछ तो जानो अपना औरम (Greek-सूर्य की आभा)
व्योम को चीरता श्वेत प्रकाश !

ढाल बनकर रहता था जो
शूल बना क्यों फिरता है
हाथ में जिसके थी धजा
वह मतवाला हुआ क्यों फिरता है।

कुछ तो सीखो वीर कुँवर से
कुछ तो जानो अपना इतिहास
क्या होगा तेरी धरती का
पुरखे रखते थें जन-मन का
अपनी तलवारों से लाज़ ।

क्षत्रिय,
तनिक तो पढ़ते “अपना” इतिहास
तुम जागे, जागेगा अपना देश विशाल
कुछ तो बोले वीर घराना
क्यों न रखी, पुरखों की बात ।।

Language: Hindi
510 Views
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