Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Apr 2024 · 2 min read

*अध्याय 6*

अध्याय 6
परम प्रेम की परिभाषा

दोहा

खोने में पाना छिपा, पाने में है हार
मिलता है सब पुण्य से, अपना दिया उधार

1)
इतनी सी है बात मंद मुस्कान और फिर लाए
सुंदर लाल बात यह सुनकर हौले से मुस्काए
2)
बात आपकी उचित सदा से पिता-पुत्र का नाता
दादी हैं फिर आप बड़ा है रिश्ता यह कहलाता
3)
पुत्र छीन कर ले जाऊं वह नहीं स्वार्थी नाना
प्रेम अलौकिक दिव्य भाव है मैंने यह ही माना
4)
राम प्रकाश गोद पर नहीं स्वार्थ को ले नहीं मुझे है छह पुत्र यह मेरा ही कहलाए
5)
पिता भिकारी लाल सदा ही इसके कहलाऍंगे
वंश चलेगा उनका यश उनके हिस्से आऍंगे
6)
मुझे चाह है केवल बस यह मैं इसका हो जाऊॅं
नहीं चाह है यह मेरा हो पिता पुत्र कहलाऊॅं
7)
देना सबसे बड़ा भाव है देना बस देना है
मुझे नहीं इस बालक से आजीवन कुछ लेना है
8)
पुत्र रहेगा सदा आपका वंशावलि गाएगी
इसकी हर उपलब्धि आपके खाते में जाएगी
9)
लेन-देन कब प्रेम कहाता यह व्यापार न होता
प्रेमी वह ही सच्चा जग में जो निजता को खोता
10)
अहंकार का पूर्ण विसर्जन जग में प्रेमी लाता
मैं या मेरा भला प्रेम में कब है रहने पाता
11)
देने का ही नाम प्रेम है देने में सुख आए
सच्चा प्रेमी करे समर्पित खुद को फिर सुख पाए
12)
मिथ्या अहंकार की शब्दावली न इसको भाती
प्रेम वहीं है जहॉं अहम् के बदले ‘तू’ ध्वनि आती
13)
प्रेमी केवल प्रेम कर रहा है आनंद लुटाता
सिर्फ प्रेम करने में ही प्रेमी सच्चा सुख पाता
14)
वंश किसी का चले किसी को कहे पिता या माता
प्रेमी केवल प्रेम कर रहा और नहीं कुछ भाता
15)
मेरा राम प्रकाश न होगा तो क्या फर्क पड़ेगा
दिन-दूना नि:स्वार्थ प्रेम है मेरा नित्य बढ़ेगा
16)
मैं दूंगा सर्वस्व इसे पर किंचित कब लाऊॅंगा
इसे प्यार देने में ही मैं सारा कुछ पाऊॅंगा
17)
अपने पास रखूंगा इसको सब कुछ दे जाऊंगा
देकर सब कुछ इसे परम आनंद बोध पाऊंगा
18)
जगत कहेगा इसे भिकारी लाल-पुत्र मानेगा
मेरा दत्तक पुत्र नहीं यह सारा जग जानेगा
19)
मिथ्या है अधिकार शब्द ही प्रेम गली में आता
प्रेमी को अधिकार शब्द बोलो कब कहॉं सुहाता
20)
पाना या अधिकार समझना या कब्जा कर लेना
इसका मतलब लेन-देन है बदले में कुछ देना
21)
प्रेम करो ऐसे अपना सब कुछ उसको दे जाओ
और प्रेम के बदले में किंचित भी तनिक न चाहो
22)
बालक राम प्रकाश प्रेम का मेरे है अधिकारी
इसे गोद में दें मुझको यह कृपा आपकी भारी”

दोहा

जिसने सब कुछ दे दिया, खुला स्वर्ग का द्वार
प्रेम पथिक को राह-भर, मिला शून्य आगार
_________________________
_________________________

30 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
है कौन वो
है कौन वो
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वेलेंटाइन डे शारीरिक संबंध बनाने की एक पूर्व नियोजित तिथि है
वेलेंटाइन डे शारीरिक संबंध बनाने की एक पूर्व नियोजित तिथि है
Rj Anand Prajapati
हे गुरुवर तुम सन्मति मेरी,
हे गुरुवर तुम सन्मति मेरी,
Kailash singh
"रियायत के रंग"
Dr. Kishan tandon kranti
Extra people
Extra people
पूर्वार्थ
दीपावली
दीपावली
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
कुछ यूं मेरा इस दुनिया में,
कुछ यूं मेरा इस दुनिया में,
Lokesh Singh
रंगरेज कहां है
रंगरेज कहां है
Shiva Awasthi
"महंगाई"
Slok maurya "umang"
ऐ भाई - दीपक नीलपदम्
ऐ भाई - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
परिवार होना चाहिए
परिवार होना चाहिए
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
हार्पिक से धुला हुआ कंबोड
हार्पिक से धुला हुआ कंबोड
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
बचपन
बचपन
नन्दलाल सुथार "राही"
2707.*पूर्णिका*
2707.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
कवि रमेशराज
दूर रह कर सीखा, नजदीकियां क्या है।
दूर रह कर सीखा, नजदीकियां क्या है।
Surinder blackpen
महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
Shreedhar
जब तुम मिलीं - एक दोस्त से सालों बाद मुलाकात होने पर ।
जब तुम मिलीं - एक दोस्त से सालों बाद मुलाकात होने पर ।
Dhriti Mishra
सरेआम जब कभी मसअलों की बात आई
सरेआम जब कभी मसअलों की बात आई
Maroof aalam
बिना वजह जब हो ख़ुशी, दुवा करे प्रिय नेक।
बिना वजह जब हो ख़ुशी, दुवा करे प्रिय नेक।
आर.एस. 'प्रीतम'
इसमें कोई दो राय नहीं है
इसमें कोई दो राय नहीं है
Dr fauzia Naseem shad
इश्क चाँद पर जाया करता है
इश्क चाँद पर जाया करता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
गर कभी आओ मेरे घर....
गर कभी आओ मेरे घर....
Santosh Soni
लेकिन क्यों ?
लेकिन क्यों ?
Dinesh Kumar Gangwar
Memories
Memories
Sampada
बीती सदियाँ राम हैं , भारत के उपमान(कुंडलिया)
बीती सदियाँ राम हैं , भारत के उपमान(कुंडलिया)
Ravi Prakash
■ सीढ़ी और पुरानी पीढ़ी...
■ सीढ़ी और पुरानी पीढ़ी...
*Author प्रणय प्रभात*
खूबसूरत पड़ोसन का कंफ्यूजन
खूबसूरत पड़ोसन का कंफ्यूजन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जय श्रीराम
जय श्रीराम
Indu Singh
समझौता
समझौता
Dr.Priya Soni Khare
Loading...