💐अज्ञात के प्रति-112💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बेरोजगारी मंहगायी की बातें सब दिन मैं ही दुहराता हूँ, फिरभ
रोशनी सूरज की कम क्यूँ हो रही है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बच्चे बूढ़े और जवानों में
जिज्ञासा और प्रयोग
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
एक ही तो, निशा बचा है,
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
किताबों में झुके सिर दुनिया में हमेशा ऊठे रहते हैं l
स्त्री एक देवी है, शक्ति का प्रतीक,
दोहा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बेवफाई की फितरत..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
स्वयं द्वारा किए कर्म यदि बच्चों के लिए बाधा बनें और गृह स्
क्या सोचूं मैं तेरे बारे में