Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2021 · 1 min read

“क्यों मैं एक लड़की हुयी?”

जन्म से मैं एक लड़की हुयी,
जमाना है भड़की हुयी।
घर में मेरे कड़की हुयी,
सोचूँ फिर क्यों मैं एक लड़की हुयी?
अकड़ सारी उसकी (पिता) धीमी हुयी,
आँख भी उसकी भीनी-भीनी हुयी।
बाँयी आँख भी है उसकी फड़की,
सोचूँ फिर क्यों मैं एक लड़की हुयी?
दोष उसका कुछ नहीं कोसता है वो किस्मत,
जुगाड़ अगर लग जाता तो भगवान् को भी वो देता रिश्वत।
समाज के इस फेर में उसकी बुद्धि भी है अड़की हुयी,
सोचूँ फिर क्यों मैं एक लड़की हुयी?
बेटी हुयी कहने से सिर झुक जाता है,
बोलते-बोलते कहीं वो रुक जाता है।
मातम ऐसा फैलता जैसे कोई मरकी हुयी,
सोचूँ फिर क्यों मैं एक लड़की हुयी?
अनचाही हूँ मैं मेरे लिए तो वो तैयार नहीं,
ममता-स्नेह बाँटे हमने और मेरे लिए ही प्यार नहीं।
मेरे आहट से ही दलान की दिवार भी है दरकी हुयी,
सोचूँ फिर क्यों मैं एक लड़की हुयी?
जननी हूँ मैं, आकृति हूँ मैं,
पालक हूँ मैं, प्रकृति हूँ मैं।
सबल हूँ मैं, आधार हूँ मैं,
सूरत हूँ मैं, आकार हूँ मैं।
मेरे बिना तेरा कोई अस्तित्व नहीं,
फिर मेरे लिए ही तेरा कोई दायित्व नहीं।
सारी दुनियाँ का दिमाग क्यों है सरकी हुयी?
फिर क्यों सोचूँ मैं, कि मैं एक लड़की हुयी?
फिर क्यों सोचूँ मैं, कि मैं एक लड़की हुयी?
✍️हेमंत पराशर✍️

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 278 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुस्कुराना जरूरी है
मुस्कुराना जरूरी है
Mamta Rani
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
"कैफियत"
Dr. Kishan tandon kranti
अब हक़ीक़त
अब हक़ीक़त
Dr fauzia Naseem shad
जाति बनाम जातिवाद।
जाति बनाम जातिवाद।
Acharya Rama Nand Mandal
* खूबसूरत इस धरा को *
* खूबसूरत इस धरा को *
surenderpal vaidya
जो भूल गये हैं
जो भूल गये हैं
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
गुजर गई कैसे यह जिंदगी, हुआ नहीं कुछ अहसास हमको
गुजर गई कैसे यह जिंदगी, हुआ नहीं कुछ अहसास हमको
gurudeenverma198
Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इम्तिहान
इम्तिहान
AJAY AMITABH SUMAN
बगिया
बगिया
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Fuzail Sardhanvi
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
Amit Pathak
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
ना कोई हिन्दू गलत है,
ना कोई हिन्दू गलत है,
SPK Sachin Lodhi
*साधुता और सद्भाव के पर्याय श्री निर्भय सरन गुप्ता : शत - शत प्रणाम*
*साधुता और सद्भाव के पर्याय श्री निर्भय सरन गुप्ता : शत - शत प्रणाम*
Ravi Prakash
कुछ तो तुझ से मेरा राब्ता रहा होगा।
कुछ तो तुझ से मेरा राब्ता रहा होगा।
Ahtesham Ahmad
संवेदनहीन
संवेदनहीन
अखिलेश 'अखिल'
आजादी की चाहत
आजादी की चाहत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बदनसीब लाइका ( अंतरिक्ष पर भेजी जाने वाला पशु )
बदनसीब लाइका ( अंतरिक्ष पर भेजी जाने वाला पशु )
ओनिका सेतिया 'अनु '
जल धारा में चलते चलते,
जल धारा में चलते चलते,
Satish Srijan
धमकियां शुरू हो गई
धमकियां शुरू हो गई
Basant Bhagawan Roy
भजन
भजन
सुरेखा कादियान 'सृजना'
गुरु पूर्णिमा पर ....!!!
गुरु पूर्णिमा पर ....!!!
Kanchan Khanna
तारीख
तारीख
Dr. Seema Varma
विश्व गुरु भारत का तिरंगा, विश्व पटल लहराएगा।
विश्व गुरु भारत का तिरंगा, विश्व पटल लहराएगा।
Neelam Sharma
राम की धुन
राम की धुन
Ghanshyam Poddar
ख्वाहिश
ख्वाहिश
Omee Bhargava
तेरी यादें
तेरी यादें
Neeraj Agarwal
3311.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3311.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
Loading...