क्यों बनना गांधारी?
कोल्हू के बैल मत बनो
ऐ नारी,
अब तो सच्चा धृतराष्ट्र भी नहीं
फिर क्यों बनना गांधारी?
आज के धृतराष्ट्र तो
अन्धा होने का ढोंग रच रहे,
स्त्री को जरिया बनाकर
वो सारी सुविधा भोग रहे।
आँखों की पट्टी खोलकर देखो
कैसी है ये दुनिया,
बन्द आँखों से जो समझती हो
नहीं ये वैसी दुनिया।
आज का यह समाज भी
अहंकार में अड़ा है,
कूड़े-कचरे के ढेर में
सिर्फ मलमल चढ़ा है।
सवाल करके खुद देख लो
सारी दुनिया मौन है,
ऐ इक्कीसवीं सदी तू बता
सच में दोषी कौन है?
‘आधी दुनिया’ के बाद
नारी शक्ति पर आधारित
मेरी प्रकाशित द्वितीय काव्य-कृति :
‘बराबरी का सफर’ से,,,,
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।