क्या
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मुरझाई हुई सी
स्मृतियों की टूटी टहनी
फिर से हरी हो गई आज
पता नहीं
यह नियति का कोई
इशारा है या कुछ और?
आखिर वो क्या चीज है
जिसने उस पर
भरोसा करने दिया मुझे,
लेकिन रेल की
दो समानान्तर पटरियों सी
पास-पास रहकर भी
हम मिल न पाए कभी।
क्या हमारे बीच मौजूद
जातियों की
कोई ऊँची दीवार थी वह?
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति।