क्या दोष था मेरा
क्या दोष था मेरा माँ
कचरे के ढेर पटक दिया
भ्रूण हत्या से बढ़ कुकर्म
कचरे के ढ़ेर पटक दिया
नौ माह कोख में कष्ट झेला
शीत , ताप ,बारिश
हर मौसम तुमने झेला
इतना सब फिर क्यों
कचरे के ढ़ेर पटक दिया
प्यार चेतना रही तुम्हारी
या काम वासना रही
या पर पुरूष की गिरफ्त
या कोई थी ये शरारत
जो गर्भ धारण किया तुमने
कचरे के ढ़ेर पटक दिया
काम वासना का पीड़क
मानसिक वर्जना का धोतक
कौमार्यता का कर हरण
कोन सा था तेरा भरण
पर मेरा क्या दोष माँ
कचरे के ढ़ेर पटक दिया
संवेदना कहाँ चली गयी तेरी
जब मैं कचरे म़े पटकी गई
माँ क्यूँ बनी तुम कुमाता
लोकलाज को ढकती सुमाता
पर मेरा क्या दोष माँ
कचरे के ढ़ेर पटक दिया
बाल सरंक्षण गृह पहुँची
जहाँ पर कुछ मेरी जैसी
कुछ अंग बाधित तो कुछ दिव्यांग
कुछ की साँसे उखड़ती सी
पर मेरा क्या दोष माँ
कचरे के ढेर पटक दिया