Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2020 · 1 min read

— क्या तुम्हे नहीं लगा—

इतना कुछ हो गया
इतना होता जा रहा है
पल पल में मौत का
तांडव सरे आम हो रहा है

रास्ते रूक से गए हैं
जिंदगी ठहर सी गयी है
हर तरफ का शोर थम गया
इंसान अब मौन सा हो गया है

जैसी तूफ़ान से पहले
की शान्ति परेशां करती है
ठीक वैसे ही आज
यह खामोशी तंग करती है

क्या तुम्हे नहीं लगा कि
किया किसी ने भुगत कोई और रहा
क्यूँ नहीं दी सजा अब तक
जिस ने सब को झकझोर दिया

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
344 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
चाहे तुम
चाहे तुम
Shweta Soni
लोकतंत्र में शक्ति
लोकतंत्र में शक्ति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
झील के ठहरे पानी में,
झील के ठहरे पानी में,
Satish Srijan
I've learned the best way to end something is to let it star
I've learned the best way to end something is to let it star
पूर्वार्थ
न दोस्ती है किसी से न आशनाई है
न दोस्ती है किसी से न आशनाई है
Shivkumar Bilagrami
* चांद के उस पार *
* चांद के उस पार *
surenderpal vaidya
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
👍👍
👍👍
*Author प्रणय प्रभात*
चिल्हर
चिल्हर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कोई मुरव्वत नहीं
कोई मुरव्वत नहीं
Mamta Singh Devaa
दुकान वाली बुढ़िया
दुकान वाली बुढ़िया
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
हंसगति
हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
बड़ा सुंदर समागम है, अयोध्या की रियासत में।
बड़ा सुंदर समागम है, अयोध्या की रियासत में।
जगदीश शर्मा सहज
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
Er. Sanjay Shrivastava
2572.पूर्णिका
2572.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
25)”हिन्दी भाषा”
25)”हिन्दी भाषा”
Sapna Arora
खुद से मिल
खुद से मिल
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
--पागल खाना ?--
--पागल खाना ?--
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
शिव प्रताप लोधी
"कथरी"
Dr. Kishan tandon kranti
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#लाश_पर_अभिलाष_की_बंसी_सुखद_कैसे_बजाएं?
#लाश_पर_अभिलाष_की_बंसी_सुखद_कैसे_बजाएं?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो
ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो
Ajay Mishra
💐प्रेम कौतुक-517💐
💐प्रेम कौतुक-517💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*दिन गए चिट्ठियों के जमाने गए (हिंदी गजल)*
*दिन गए चिट्ठियों के जमाने गए (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मत कर
मत कर
Surinder blackpen
Kirdare to bahut nibhai ,
Kirdare to bahut nibhai ,
Sakshi Tripathi
प्रस्तुति : ताटक छंद
प्रस्तुति : ताटक छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
प्रिय विरह
प्रिय विरह
लक्ष्मी सिंह
कभी- कभी
कभी- कभी
Harish Chandra Pande
Loading...