** बेटी का दर्द **
नई उम्मीदें नए सपने संजोती बेटी ।
शादी होकर जब ससुराल जाती बेटी ।।
जन्मजात रिश्तों से दूर हो जाती बेटी ।
बहू बनते ही अचानक बड़ी हो जाती बेटी ।।
पत्नी बन नए नए रिश्तों से बंध जाती बेटी ।
मायका छोड़ जब ससुराल जाती बेटी ।।
यादें पीहर की दिल में समेट ले जाती बेटी ।
दर्द अपनों से बिछड़ने का भी सह जाती बेटी ।।
प्यार ससुराल में ना पाकर भी चुप रह जाती बेटी ।
इतना सब सहकर भी अकेली रह जाती बेटी ।।
पीहर छोड़ जब ससुराल जाती बेटी ।
पीहर वाले कहते अब हुई पराई बेटी ।।
सास कहे पराए घर जाई पराई बेटी ।
पीहर पराई ससुराल पराई किसको अपना कहे बेटी ।।
घर कौन सा है मेरा पूछ रही दुनिया से बेटी ?
क्या गलती है मेरी पूछ रही है बेटी? पूछ रही है बेटी!