!! कौन है ये शख़्स !!
कौन है ये शख़्स
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फूल से अल्फ़ाज़ हों मिसरी घुली हो बात में,
खुश रहे हर शख़्स खुशियां बाँट दो सौगात में।
फूल के रस की अहमियत पूछ लो भौंरों से जाकर,
बांटते फिरते हो खुश्बू किसलिए खैरात में।
ये तुम्हारी जिंदगी है इक वसीयत की तरह,
बाँट दो सारे जहां में मत फँसो जज्बात में।
चार दिन की चाँदनी है तुम मोहब्बत बाँट लो,
चाँदनी ढल जाए जाने कब अंधेरी रात में।
कौन है ये शख़्स “दीपक” हर कोई जब पूछता हो,
शख्सियत दिखला ही दो तुम अपनी कायनात में।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव
महाराष्ट्र