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6 Jun 2021 · 1 min read

कौन हैं यहाँ ‘दूध की धुली’ ?

मित्रो ! सुनो, मेरी बात !!
कि कौन हैं यहाँ
दूध की धुली ?
किस हाथ में दही नहीं जमता,
दीया बिना बाती,
कली बिन सोलहों श्रृंगार,
यादों के रोशन चेहरे,
अपरिचित स्वप्न,
मृत स्वप्न,
इनमें भी श्रोत बन पाई हूँ,
कचरे के गड्ढे से निकलकर-
गूँगे की आवाज बन पाई हूँ।

Language: Hindi
5 Likes · 6 Comments · 453 Views
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