मैं मगर अपनी जिंदगी को, ऐसे जीता रहा
थपकियाँ दे मुझे जागती वह रही ।
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
💐प्रेम कौतुक-389💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*जमाना बदल गया (छोटी कहानी)*
पिया मोर बालक बनाम मिथिला समाज।
ना दे खलल अब मेरी जिंदगी में
यादों के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जो नहीं दिखते वो दर्द होते हैं
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
गुलशन की पहचान गुलज़ार से होती है,
भले कठिन है ज़िन्दगी, जीना खुलके यार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
" मैं कांटा हूँ, तूं है गुलाब सा "