Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Sep 2023 · 4 min read

सम्पूर्ण सनातन

. सम्पूर्ण सनातन-
सनातन का शाब्दिक अर्थ है सतत्, शाश्वत, सदैव, नित्य, चिरपर्यंत रहने वाला। जिसका न आदि हो न अंत। जो कभी समाप्त न हो वही सनातन। सनातन शब्द वैदिक धर्म या हिंदू धर्म के सतत् अस्तित्व की अवधारणा को प्रदर्शित करता है अत: हिंदू धर्म को वैदिक धर्म या सनातन धर्म भी कहा जाता है।
जैसा कि हम जानते है सारी सृष्टि परिवर्तनशील है परिवर्तन ही सृष्टि और प्रकृति का नियम है क्योंकि ये सारी सृष्टि, ब्रह्मांड, प्रकृति गतिमान है डायनेमिक है ना कि जड़ या स्टैटिक है इस सार्वभौमिक नियम के साथ जुड़ा यह भी नियम है कि जो भी इस सृष्टि और प्रकृति में परिस्थिति और समयानुकूल नही बदलता है उसका अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है वह विलुप्त हो समाप्त हो जाता है अत: परिवर्तन ही अस्तित्व को बनाए रखने, सनातन रहने की पहली शर्त है।

हमारे वैदिक शास्त्रों में भी कहा गया है -“परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति” अर्थात जो परिवर्तनशील है वही स्थिर है, सनातन है और जो अपरिवर्तनीय है वह अस्थिर होकर विलुप्त हो जाता है यही बात पाश्चात्य जगत में भी कही गई है ” चेंज इज लाइफ, स्टेगनेशन इज डेथ”। यानि परिवर्तन ही जीवन है और जड़ता मृत्यु ।

कहने का तात्पर्य यह है कि स्थिर,अचलायमान, परिपूर्ण जैसा कुछ भी नही है सभी में सदैव परिवर्तन की संभावनाए बनी रहती है। और यही परिवर्तनशीलता ही उसके अस्तित्व को बनाए रखती है।
धर्म और ईश्वर मानव सभ्यता और समाज के बहुत विशद, व्यापक बिषय रहे है दोनों बिषयो में गहन बौद्धिक अध्ययन और गंभीर चिंतन-मनन होता रहा है संसार भर में विभिन्न धर्मो का अस्तित्व एक सच्चाई है वास्तविकता है लेकिन ईश्वर का अस्तित्व अभी भी रहस्य, जिज्ञासा, आस्था और अन्वेषण पर निर्भर है।
विभिन्न धर्मो का मानव सभ्यता और विकास पर बहुआयामी प्रभाव पड़ा है इसलिए धर्मो के अस्तित्व, औचित्य और महत्ता को अस्वीकार नही किया जा सकता है धर्मो के प्रादुर्भाव से दुनिया में विभिन्न कलाओं, भाषा-साहित्य, नृत्य-संगीतकला, वास्तुकला, ज्ञान-विज्ञान, शिक्षा, अध्यात्म, दर्शन आदि में अभूतपूर्व उन्नति हुई है मनुष्य की कल्पनाशक्ति, बौद्धिक व मानसिक सामर्थ्य का भी धर्मो के कारण उत्तरोत्तर विकास हुआ। धर्मो के कारण अनेकों नरसंहार, भीषण रक्तपात, दंगा-फसाद, सामाजिक वैमन्स्य, पाखण्ड और अंधविश्वासों को भी अनदेखा नही किया जा सकता है। और एक पहलू यह भी है कि इन्ही धर्मो के धर्माचरण के चलते विश्व में अनेकों जघन्य अपराधों रक्तपात और नरसंहार रूके भी है। लेकिन व्यापक दृष्टिकोण से यह कहा जा सकता है कि मानव सभ्यता के सर्वांगीण विकास में धर्मो का विशेष उल्लेखनीय योगदान रहा है।

जब हम सबसे प्राचीन धर्मो में सनातन धर्म को आज के परिपेक्ष में देखते है तो पाते है कि जहाँ हिंदू धर्म ब्राह्मण धर्म के समीप लगता है तो सिख धर्म क्षत्रिय धर्म के समीप लगता है और जैन और बौद्ध धर्म वैश्य और शूद्र धर्म के समीप लगते है जब इन चारों धर्मो का सामीप्य हो यानि हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म एक हो तभी एक संपूर्ण सनातन धर्म का पूर्ण स्वरूप बनता है।
वैसे भी कई विद्वान दुनिया के प्रमुख धर्मो को दो मुख्य मूल धर्मो में वर्गीकृत करते है जैसे-
अब्राहमिक धर्म-(अब्राहम-यहूदी,ईसाई और इस्लाम)
सनातन धर्म-(वैदिक-हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख)।

अत: एक संपूर्ण सनातन धर्म का वृहत और पूर्ण स्वरूप चारों उप धर्मो या व्युत्पन्न धर्मो- हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख धर्मो के समन्वय में ही निहित है। अत: जब भी सनातन की बात हो तो इन सभी को साथ लेकर, मानकर बात होनी चाहिए।
हमारे वेदों में कहा गया है-
” एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति ”
अर्थात सत्य एक ही है जिसे विद्वानों ने अलग-अलग अर्थो और रूपों में परिभाषित किया है। सारे धर्मो का सार तत्व एक ही है क्योंकि सत्य, परमसत्य तो एक ही है और इस परमसत्य की खोज, प्राप्ति ही सभी धर्मो का परम उद्देश्य है इसलिए सभी धर्मो को प्रगतिशील रूप से अपने में सुधार करते हुए सत्य का अनावरण करने को प्रयासरत रहना ही चाहिए।
सभी धर्मो में बहुत कुछ खूबियां तो है पर कुछ त्रुटिपूर्ण भी रह गई है बदलते समय और बदलती परिस्थितियों के साथ धर्मो को भी आज बदलते हुए रहना अपरिहार्य हो गया है।

एक सुधरा इस्लाम धर्म ईसाई धर्म के समान है (vice-versa). तो एक सुधरा ईसाई धर्म बौद्ध धर्म के समान है(vice-versa).एक सुधरा बौद्ध धर्म सनातन धर्म के समान है(vice-versa).और एक सुधरा सनातन धर्म मानवीय धर्म का चरम उत्कर्ष है जब सनातन धर्म की मूलभूत भावना “बसुधैव कुटबंकम” का व्यवहारिक रूप से विश्व भर में अनुपालन हो, सभी धर्म अपनी संकुचित रूढिवादी सोच, यही अंतिम सत्य और सर्वश्रेष्ठ होने की कट्टर सोच को छोड़ प्रगतिशील विचार अपनाए, मानवीय वैज्ञानिक सोच से सुधारवादी दृष्टिकोण हो तो सारे धर्मो के अंतर समाप्त हो जाएगें, सारे धर्म एक जैसे हो जाएगें। सभी धर्म मानवता रूपी विशाल धर्मभवन के स्तंभ बन जाएगें। और विश्व कल्याण, शांति प्रेम-सद्भाव और समृद्धि एक सुखद-सुदंर सच्चाई बन जाएंगी। जो हमारे महान दर्शन “सर्वधर्म सम्भाव” का चरम उत्कर्ष होगा।
-तथास्तु/आमीन/सो इट बी !!

डिस्क्लेमर: यह लेख निजी विचारों की अभिव्यक्ति है जिसमें वैश्विक कुटबं की महान सोच को परिलक्षित करने का प्रयास किया गया है और सभी धर्मो का सम्मान करते हुए तटस्थ, निष्पक्ष भाव से सभी धर्मो में समाहित मानवीय धर्म को पुन:प्रतिष्ठित करने का लघु प्रयास किया गया है।
-जीवनसवारो

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 217 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
View all
You may also like:
जब मैं मंदिर गया,
जब मैं मंदिर गया,
नेताम आर सी
इश्क की रूह
इश्क की रूह
आर एस आघात
सालगिरह
सालगिरह
अंजनीत निज्जर
■ भाषा संस्कारों का दर्पण भी होती है श्रीमान!!
■ भाषा संस्कारों का दर्पण भी होती है श्रीमान!!
*Author प्रणय प्रभात*
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
वाणी और पाणी का उपयोग संभल कर करना चाहिए...
वाणी और पाणी का उपयोग संभल कर करना चाहिए...
Radhakishan R. Mundhra
तुम्हारे जाने के बाद...
तुम्हारे जाने के बाद...
Prem Farrukhabadi
जो भी पाना है उसको खोना है
जो भी पाना है उसको खोना है
Shweta Soni
-0 सुविचार 0-
-0 सुविचार 0-
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*खुद को  खुदा  समझते लोग हैँ*
*खुद को खुदा समझते लोग हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
পৃথিবী
পৃথিবী
Otteri Selvakumar
वक्त आने पर सबको दूंगा जवाब जरूर क्योंकि हर एक के ताने मैंने
वक्त आने पर सबको दूंगा जवाब जरूर क्योंकि हर एक के ताने मैंने
Ranjeet kumar patre
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
Sanjay ' शून्य'
मंत्र: सिद्ध गंधर्व यक्षाधैसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात्
मंत्र: सिद्ध गंधर्व यक्षाधैसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात्
Harminder Kaur
दिल से ….
दिल से ….
Rekha Drolia
*कभी बरसात है (घनाक्षरी)*
*कभी बरसात है (घनाक्षरी)*
Ravi Prakash
2407.पूर्णिका
2407.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आरजू
आरजू
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
💐प्रेम कौतुक-508💐
💐प्रेम कौतुक-508💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"कोयल"
Dr. Kishan tandon kranti
अभिषेक कुमार यादव: एक प्रेरक जीवन गाथा
अभिषेक कुमार यादव: एक प्रेरक जीवन गाथा
Abhishek Yadav
लोग जाम पीना सीखते हैं
लोग जाम पीना सीखते हैं
Satish Srijan
देश हमारा
देश हमारा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
" तुम से नज़र मिलीं "
Aarti sirsat
पता पुष्प का दे रहे,
पता पुष्प का दे रहे,
sushil sarna
Happy Holi
Happy Holi
अनिल अहिरवार"अबीर"
.......रूठे अल्फाज...
.......रूठे अल्फाज...
Naushaba Suriya
भगतसिंह की जवानी
भगतसिंह की जवानी
Shekhar Chandra Mitra
सिर की सफेदी
सिर की सफेदी
Khajan Singh Nain
शिमला, मनाली, न नैनीताल देता है
शिमला, मनाली, न नैनीताल देता है
Anil Mishra Prahari
Loading...