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8 May 2021 · 1 min read

कोरोना घर से बाहर अभी तुम न जाओ

—-ग़ज़ल—–

घर से बाहर अभी तुम न जाओ
मौत से ख़ुद को यारों बचाओ

है अभी तक हवा ज़ह्र वाली
मुफ़्त में जान यूँ मत गँवाओ

दूर तक है अँधेरा ज़मीं पर
आगे बढ़ कर दिया इक जलाओ

शम्स निकलेगा रक्खो यकीं तुम
ख़ुद ही रातें न लम्बी बनाओ

वक़्त ये कह रहा है सभी से
हाथ को मत किसी से मिलाओ

आज इंसानियत कह रही है
हाथ इमदाद को भी बढ़ाओ

दौरे हाज़िर से अंजान है जो
आइना उसको प्रीतम दिखाओ

प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती (उ०प्र०)

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