कैसे?
पी रहा हूं जो दर्द रुक रुककर
तुम्हे बताऊं कैसे?
खुद ही नहीं जानता दर्द ए ख्याल
तुम्हे जताऊं कैसे?
फर्क नहीं पड़ता तुम्हारी मौजूदगी का अब
तुम्हे समझाऊं कैसे?
मैं खुद ही खुद से दूर हूं आज
तुम्हे अपना बनाऊं कैसे?
ख्यालात हवा को मौसम जो चला है
तुम्हे भुलाऊं कैसे?
सोए हुए रातों गुजरी गई हो जिसकी
तो तुम्हे सुलाऊ कैसे?
हाथ में जब लकीरें तुम्हारे नाम की है।
तो उन्हे मिटाऊं कैसे?
कर दी है जान तेरी जान के नाम
और तुम्हे रिझाऊं कैसे?