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21 Oct 2017 · 1 min read

कैसे हरूँ मुरलिया

बंसीधर ने जब जब बंसी
बाजुबन्द में बांधी ।
चिंतित हो कह उठते ग्वाले
आने को है आंधी ।

मोर मुकुट का पंखी चंदवा
गत आगत का ज्ञाता ।
कुछ न होगा कहता सबसे
सबको धैर्य बंधाता ।

कान्हा ने जब नाग कालिया
नाथा सबक सिखाया ।
यमुना तट पर जुटी भीड़ का
उखड़ा मन हरषाया ।

आगे चल जब कृष्ण मुरा की
जम कर हुई लड़ाई ।
बंसी टूटी गिरी धरा पर
राधा मन मुस्काई ।

मार असुर को श्री कृष्ण जब
नामित हुए मुरारी ।
गोपाला के ओंठो चहकी
मुरली की स्वर लहरी ।

राधा ने जल भुन कर कोसा
कहा कृष्ण को छलिया ।
लगी सोचने चिंतित हो वह
कैसे हरूँ मुरलिया ।

Language: Hindi
258 Views
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