कैसे कहुं पापा
कैसे कहूं पापा
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कैसे कहूं और क्या लिखूं,
तुम्हारे लिए शब्द ही नहीं ।
बस!इतना पता है कि,
तुम ही मेरा संसार हो।।
कैसे कहूं और क्या लिखूं——
हर कदम पर साथ तुमने दिया,
मुझको कभी कोई दर्द हुआ!
तुमने ही तो आसान किया,
मेरी हर मुश्किलों को बांट कर!
मुस्कुराना सिखाया पापा।।
कैसे कहूं और क्या लिखूं——–
मेरी पहचान आपसे है ,
मुझको जन्म देकर मां,पापा
एक आसमान दिया है तुमने!
में तो बस इतना कहती हूं—
मेरे भगवान तुम ही हो।
दुआओं की बारिश कर,
बादल बन जाते हो मां,पापा!!!
कैसे कहूं और क्या लिखूं——–
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर