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31 May 2021 · 1 min read

कैसी झमाझम सारी रात हुई….

कैसी झमाझम सारी रात हुई…

बिन मौसम ही बरसात हुई
अँखियों से सारी रात हुई
मन-किसान झूला फाँसी पर
सुख की खेती बरबाद हुई !

पसरा हर सूं गहन अँधेरा
नसीब छला गया क्यूँ मेरा
मुंह फुलाए बैठीं खुशियाँ
हाय ! ऐसी क्या बात हुई !

देखे मन ने अनगिन सपने
सब्र की आँच पर रखे तपने
झुलस गए पर पर ही उनके
क्या सोचा क्या औकात हुई !

मिल क्या-क्या अरमां बोए थे
औ क्या-क्या ख्वाब सँजोए थे
इक न चली किस्मत के आगे
बड़ी ही करारी मात हुई !

उजड़ी बगिया आशाओं की
शुरू कहानी बाधाओं की
मधुर- सुहानी मदमस्त हवा
तूफां औ झंझावात हुई !

बिन मौसम ही बरसात हुई…

कैसी झमाझम सारी रात हुई !

-सीमा अग्रवाल
जिगर कॉलोनी
मुरादाबाद (उ.प्र.)

4 Likes · 8 Comments · 556 Views
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