कैसी झमाझम सारी रात हुई….
कैसी झमाझम सारी रात हुई…
बिन मौसम ही बरसात हुई
अँखियों से सारी रात हुई
मन-किसान झूला फाँसी पर
सुख की खेती बरबाद हुई !
पसरा हर सूं गहन अँधेरा
नसीब छला गया क्यूँ मेरा
मुंह फुलाए बैठीं खुशियाँ
हाय ! ऐसी क्या बात हुई !
देखे मन ने अनगिन सपने
सब्र की आँच पर रखे तपने
झुलस गए पर पर ही उनके
क्या सोचा क्या औकात हुई !
मिल क्या-क्या अरमां बोए थे
औ क्या-क्या ख्वाब सँजोए थे
इक न चली किस्मत के आगे
बड़ी ही करारी मात हुई !
उजड़ी बगिया आशाओं की
शुरू कहानी बाधाओं की
मधुर- सुहानी मदमस्त हवा
तूफां औ झंझावात हुई !
बिन मौसम ही बरसात हुई…
कैसी झमाझम सारी रात हुई !
-सीमा अग्रवाल
जिगर कॉलोनी
मुरादाबाद (उ.प्र.)