केश काले मेघ जैसे,
#लघुकविता-
●प्यार के रंग, कविता के संग●
【प्रणय प्रभात】
केश काले मेघ जैसे,
अरुणिमा से हैं कपोल।
दूधिया रंगत बदन की,
ज्यूँ महावर दी हो घोल।
सुरमई आँखों की रंगत,
सुर्ख मदिरा से अधर।
रंग संयोजन अनूठा,
दृष्टि जाती है ठहर।।
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#कथ्य-
हर रंग, हर रस, हर विधा में लिखना ही नीरस जीवन को सरस् व सार्थक बनाना हैं।
-सम्पादक-
●न्यूज़&व्यूज़●
(मध्य-प्रदेश)