कृष्ण सा हैं प्रेम मेरा
कृष्ण सा हैं प्रेम मेरा
तुम हों मेरी राधिका
बिछड़ना तो हैं नियति
ये तो हैं हमको पता
क्या कभी दूर रखकर
कृष्ण राधा हुए अलग हैं
उनका तो जन्म जन्मांतर तक
नाम इक दूजे , संग जुड़ा
तुम हों मेरी प्रेम बारिश
मैं हू बस बादल तेरा
तुम हों मेरी प्रेम नदियां
मैं हू समंदर तेरा
मिलना तेरा मुझमें तय है
ये भी मैं हू जानता !
प्रेम में ना हैं बन्धन
प्रेम देता! स्वतंत्रता
तुम हो मेरी राधिका
तो मैं हू कृष्णा तेरा
✍️ D. K