कृष्ण कन्हैया लाल की जय
शीर्षक –
कृष्ण कन्हैया लाल की जय
सांवली सी सूरत, मथुरा बृंदावन के लाल।
पीताम्बर धारे,माथे सोहे मोरपंख, पैरों में पाजनियां छमछम-
छमछम बजत।
देवकी- वासुदेव के नन्दन,जग करत वंदन।
यशोदा और नंद के घर आंगन ठुमक – ठुमक चलत।
दो – दो मां का मिलत प्यार दुलार,सखा संग रास रचत।
गली- गली में ढूंढ़ू तुझे सभी, तूं तो सब के दिल में बसत।
ग्वाल बाल संग कृष्ण कन्हैया, यमुना तट पर तंदुल खेलत।
यमुना नदी में कालिया के फण पर बंशी बजा, नृत्य करत।
धड़कत दिल जन-जन का, मुरलीधर के मुख मंडल पर मुस्कान सोहत।
राधेश्याम- राधेश्याम का गुणगान दुनियां कर रही ,सब जानत।
राधा को रिझावत, वन – उपवन में ,छिप- छिप धमाल मचात।
मुरली की धुन पर, गोपियां मदहोश हो, मधुवन में रासलीला रचात।
गुलेल से मटकी फोड़,झट से माखन चट कर , माखन चोर कहलात।
बलदाऊ का नाम लगा, खिलखिला कर हंसत।
सभी करें ,जशोदा से शिकवे शिकायत, नन्द लाला मंद -मंद मुस्क्रवत।
भोली सी सूरत बना, मां, मैं नहीं माखन खाओ,ये सब ,मोरों झूठों नाम लगात।
बाल कृष्ण की लीलाएं देख, जन मानस अपार सुख पावत।
जहां में, हुईं प्रीत अमर, राधा कृष्ण संग सोहत।
जय बोलो कृष्ण कन्हैया लाल की,के जयकारे हर मानस बोलत।
मथुरा – बृंदावन हुए निहाल,जग के तारणहार हारे ,माधव कहात।
कंस का उद्धार कर,जन -जन का कल्याण करने ,गोपाल धरा पर आएं।
रूकमणी से ब्याह रचा, पर राधा रानी के कृष्ण कन्हैया कहलाएं।
पवित्र प्यार की परिभाषा दें, राधा रानी संग प्रेमालाप रचावें।
जगत नारायण का करतें, सर्वत्र वंदन अभिनन्दन।
रोम- रोम में बसे राधेश्याम, भक्ति भाव से ,राधे के कृष्ण गोपाल गावत।
विभा जैन (ओज्स)
इंदौर ( मध्यप्रदेश)