कुछ भी साथ न जाएगा बंदे….
कुछ भी साथ न जाएगा बन्दे
जप ले हरि का नाम रे,
भोग में सारी उमर बिताये
घूमेगा चौरासी लाख रे,
ये मानुष तन दुर्लभतम बन्दे
सुर मुनि भी ललचाय रे,
इसका मोल तू कुछ न समझे
कोड़ी पीछे गवांये रे,
तेरा पैसा यही रहेगा
देह को आग फुंकाय रे,
साथ जाएगा करम तेरा
कैसा धन तू कमाय रे,
काम क्रोध मद लोभ करिके
इतना क्यों इतराय रे,
आएगा फिर प्रभु शरण में
थोडा दुःख हो जाय रे,
लग जा अभी से प्रभु नाम में
क्यों अंत समय पछताय रे,
कुछ भी……
©ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी”