Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2017 · 2 min read

कुछ बच्चों के बचपन कहाँ होते हैं।

???????
कुछ बच्चों के बचपन कहाँ होते हैं।
इनका बचपन तो
दुर्भाग्य के आगे घुटने टेके होते हैं।
जिम्मेदारी की बोझ से दबे होते हैं।
ये समय से पहले ही बडे़ होते हैं।

हाथ में झाड़ू और पोछा,
माजने को ढ़ेर सारे बरतन होते है।
झूठन साफ करता ,मेज पोछता,
जरा सी गलती पर गाली खा रहे होते हैं।

पेट में आग भूख की ,
कचड़े के डब्बे में
कुछ खाने का सामान ढूढ रहे होतेे हैं।
झपट कर छिन लेने को ,
कुत्ते भी तैयार खड़े होते हैं।

नाज-नखरा ,फरमाईसें कहाँ,
बस एक रोटी की चाह होते हैं।
आँख में आँसू लिए मासुम सा चेहरा,
छुप-छुप कर ये ना जाने कितना रोते हैं।

माँ बाहर काम करती है,तो
घर की सारी जिम्मेदारी इनके सर होते हैं।
आँखों में छोटे -छोटे सपने ,
मर जाती है सारी ,कहाँ पूरे होते हैं।

कहाँ नसीब होती है,माँ की लोरी,
उनके ऊपर
छोटे भाई -बहन की जिम्मेदरी होते हैं।
बचपन में ही बिना
जन्म दिये माँ -पिता बन गये होते हैं।

स्कूल-बस्ते कहाँ नसीब इनको ,
किसी खेत में मजदूरी कर रहे होते हैं।
हाथ में छेनी और हथौड़े,
इनके सारे सपने,
हर चोट पर दम तोड़ रहे होते हैं।

जीवन की हर जरूरी समान के लिए
इनका बचपन कुर्बान होते हैं।
किताबों की जगह रद्दी का बोझ ढो रहे होते हैं।
अपने हालातों से लड़ रहें होते हैं।
इनका बचपन
किस्मत की राख में दबे होते हैं।

खेल-कूद ,स्कूल से दूर होते हैं।
इनके भाग्य विधाता बड़े क्रूर होते हैं।
भीख मागते,बोझा ढोते,
गंदे मटमैलै चिथड़े में लिपटे होते हैं।
इनकी जिन्दगी कठिनाईयों से भरे होते हैं।

किसी से घृणा,किसी से करूणा पाते हैं।
तो कोई अमीरों के ठोकर में बड़े होते हैं।
किस्मत का मारा हालात से मजबूर होते हैं।
ये नन्हा छोटा सा बाल मजदूर होते हैं।
???????
?लक्ष्मी सिंह ?

830 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all

You may also like these posts

Kp
Kp
Aasukavi-K.P.S. Chouhan"guru"Aarju"Sabras Kavi
*रंग-बिरंगी दुनिया फिल्मी*
*रंग-बिरंगी दुनिया फिल्मी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मुक्तक __
मुक्तक __
Neelofar Khan
एक दिन सब ठीक हो जाएगा का इंतजार करते-करते आधी उम्र बीत गई प
एक दिन सब ठीक हो जाएगा का इंतजार करते-करते आधी उम्र बीत गई प
पूर्वार्थ देव
..
..
*प्रणय प्रभात*
मेरी आकांक्षा
मेरी आकांक्षा
उमा झा
आओ घर चलें
आओ घर चलें
Shekhar Chandra Mitra
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
shabina. Naaz
थाईलैंड में होगा ऐतिहासिक विमोचन: सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ जी महाराज के वैश्विक योगदान का अभिनंदन
थाईलैंड में होगा ऐतिहासिक विमोचन: सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ जी महाराज के वैश्विक योगदान का अभिनंदन
The World News
सच - झुठ
सच - झुठ
krupa Kadam
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
हाथ में मेरे उसका साथ था ,
हाथ में मेरे उसका साथ था ,
Chaahat
कैसा कोलाहल यह जारी है....?
कैसा कोलाहल यह जारी है....?
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
सपनों की उड़ान
सपनों की उड़ान
कार्तिक नितिन शर्मा
.
.
Shweta Soni
" विश्वास "
Dr. Kishan tandon kranti
हर दिल खूबसूरत है
हर दिल खूबसूरत है
Surinder blackpen
अपने हुस्न पर इतना गुरूर ठीक नहीं है,
अपने हुस्न पर इतना गुरूर ठीक नहीं है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पुलवामा वीरों को नमन
पुलवामा वीरों को नमन
Satish Srijan
पिता
पिता
पूर्वार्थ
नाता
नाता
Shashi Mahajan
सपना
सपना
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बाल कविता -नन्हीं चीटी
बाल कविता -नन्हीं चीटी
पूनम दीक्षित
ये कैसी आज़ादी ?
ये कैसी आज़ादी ?
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
मेहँदी......
मेहँदी......
sushil sarna
The Misfit...
The Misfit...
R. H. SRIDEVI
क्यों याद तुमको हम कल करेंगे
क्यों याद तुमको हम कल करेंगे
gurudeenverma198
आत्महत्या
आत्महत्या
आकांक्षा राय
ट्विन फ्लेम्स,सोलमेट्स, कार्मिक : तंत्र की आड़ में पनपता हुआ नया धंधा (Twin Flames, Soulmates, Karmics: A new Business Flourishing under the Guise of Tantra)
ट्विन फ्लेम्स,सोलमेट्स, कार्मिक : तंत्र की आड़ में पनपता हुआ नया धंधा (Twin Flames, Soulmates, Karmics: A new Business Flourishing under the Guise of Tantra)
Acharya Shilak Ram
" सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
Loading...